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  1. प्रेमी मसीह के प्रेम बराबर, प्रेमी है कोई नहीं, (2)
    बना वह मुजस्सम, प्रेम से जान दी अपनी,
    प्रेम से दी है तसल्ली, (2) प्रेम नगर में विराजा।
  2. प्रेमी मसीह के प्रेम के लिए, दिल में जगह है नहीं (2)
    प्रेम के जो है बैरी, प्रेम से आँख चुरानी,
    कब लग दूर रहेगा, सुन्दर समय खोएगा।
  3. होवे कैसा पापी ऐ भाई, प्रेम वह करता तुझे (2)
    पापों का भार तू लाकर, चरणों में शीष नवा दे,
    मुक्तिदाता है यीशु-सच है बचाता यीशु।

संकट के समय मुझे पुकार और मैं तुझे बचाऊंगा (भजन 91:15)


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