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तुम तो मसीहा मोरी आँखों के तारे, भूलो न मोरी खबरिया।

  1. राह बाट हम भूले फिरत हैं, पाप की बांधे गठरिया (2)
    हा-हा कहत, तेरी विनती करत हंै, अपनी बता दो डगरिया (2)
  2. पाप की नदिया, गहरी बहुत है, लोभ की उठत लहरिया (2)
    ले चल, खेवनहारे मसीहा, मोरी तो टूटी नवारिया (2)
  3. मन की चादर मैली जो हो गई, जैसे कि काली बदरिया (2)
    अपने रकत में धो दे मसीहा, मन की यह मैली चदरिया (2)
  4. यह शैतान बड़ो दुखदाई, मिलकर यह मारे कटरिया (2)
    साबिर के अवगुण छिपाओ, बचाओ तोरी तो प्यारी जनरिया (2)

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By admin

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