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यहोवा चरवाहा मेरा, कोई घटी मुझे नहीं है,
हरी चराईयों में मुझे, स्नेह से चराता वह है।

  1. मृत्यु के अन्धकार से मैं जो जाता था,
    प्रभु यीशु करूणा से तसल्ली मुझे दी है। (2) यहोवा..
  2. शत्रुओं के सामने, मेज को बिछाता है,
    प्रभु ने जो तैयार की, मन मेरा मगन है। (2) यहोवा..
  3. सिर पर तेल मला है, अभिषेक मुझे किया है,
    दिल मेरा भर गया है, और उमड़ भी रहा है। (2) यहोवा..
  4. सर्वदा प्रभु घर में, करूँगा निवास जो मैं,
    करूणा भलाई भी उसकी आनन्दित मुझे करती है। (2) यहोवा..

जब मैं अपने हाथ खोलता हूँ तो प्रत्यके प्राणी की इच्छा को संतुष्ट करता हूँ । (भजन 145:16)


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