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क्यों मन भूला है यह संसारा (2)
मन मत दे टुक कर ले गुजारा।

  1. इस जग में सुख नित नहीं भाई, (2)
    यह तो है जैसे पानी की धारा (2)..क्यों…..
  2. माता-पिता और खेश कुटुम्ब सब,
    संग नहीं कोई जावन हारा, (2)….क्यों…..
  3. अंत समय सब देखन अई हैं,
    क्षण भर में सब हुई है नियारा, (2)….क्यों….
  4. जो कुछ अंग में होगा तुम्हारा,
    वह भी सब मिल लेई है उतारा, (2)…क्यों….
  5. नरक अगिन में जब तुम पडि़यो,
    तब नहीं कोई बचावन हारा, (2)…क्यों….
  6. भाई मुक्ति की खोज करो तुम,
    यीशु मसीह प्रभु तारणहारा, (2)…क्यों….
  7. आसी तो प्रभु दास तुम्हारा,
    तुम बिन नाहीं और कोई हमारा, (2)…क्यों….

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By admin

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