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मन मंदिर में बसने वाला, यीशु तू है निराला-2

  1. जिसके मन में तू जन्म ले, अविनाशी आनन्द से भर दे,
    आदि अनंत प्रीति रीति की जल जायेगी ज्वाला।
  2. मूसा को तूने पास बुलाया, स्वर्ग लोक का भवन दिखाया-2
    महा पवित्र स्थान में रहकर, आप ही उसे सम्भाला-2
  3. पाप में दुनिया डूब रही थी, परमपिता से दूर हुई थी,
    प्रभुता अपनी आप ही तजकर, रूप मनुष्य ले आया।
  4. प्रेम हमें अनमोल दिखाया, प्रेम के खातिर रक्त बहाया,
    क्रूस पर अपनी जान देकर, पाप से हमें छुड़ाया।
  5. हर विश्वासी प्रेम से आये, खुशी से अपनी भेंट चढ़ायें,
    अंधकार सब दूर हुए अब, मन में हुआ उजाला।

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By admin

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