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प्रभु यीशु मेरे, स्वामी मन के, तुम प्रेम मिलन को आ जाओ।
मैं था भटका राही जीवन में, तुम राह नई दिखला जाओ।

  1. ये जीवन पग-पग उजड़ा है, हर पग-पग में अंधेरा है।
    तुम ज्योति बनो मेरे मन की, और मन में ज्योति जला जाओ।
  2. ये जीवन कण-कण बिखरा है, और पाप का इसमें बसेरा है।
    दो अपने से वरदान मुझे, और प्रेम का राग सिखा जाओ।
  3. सोचा न कभी यह भी हमने, कितने ही कष्ट सहे तुमने।
    शैतान ने फँसाया फन्दे में, तुम आ के जरा सुलझा जाओ।
  4. ये मन तुम बिन अब प्यासा है, राह ताकते नैन सुलगते हैं।
    तुम, तृप्त करो जीवन जल से, और मन की प्यास बुझा जाओ।

भले ही तुम्हारी माता तुम्हें भूल जाए, परन्तु मैं तुम्हें कभी न भूलूंगा (यशायाह 49:15)


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