Gin Gin ke Stuti Karu lyrics – गिन गिन के स्तुति करूँ
गिन-गिन के स्तुति करूँ, बेशुमार तेरे दानों के लिए 2
अब तक तूने सम्भाला मुझे, अपनी बाहों में लिए हुए 2
- तेरे शत्रु का निशाना, तुझ पर न होगा प्रबल
अपनी आँखों की पुतली जैसे, वो रखेगा तुझे हर पल
गिन-गिन के …………………… - आँधियाँ बनकर के आये, जिन्दगी के फिकर,
कौन है तेरा खेवनहारा, है भरोसा तेरा किधर।
गिन-गिन के ………………….. - आये तुझे जो मिटाने, वो शस्त्र होंगे बेअसर,
तेरा रचने वाला तुझ पर, रखता है अपनी नजर।
गिन-गिन के …………………
मेरे पांव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं। भजन संहिता 17:5
Gin Gin ke Stuti Karu lyrics – गिन गिन के स्तुति करूँ