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Gin Gin ke Stuti Karu lyrics – गिन गिन के स्तुति करूँ

गिन-गिन के स्तुति करूँ, बेशुमार तेरे दानों के लिए 2
अब तक तूने सम्भाला मुझे, अपनी बाहों में लिए हुए 2

  1. तेरे शत्रु का निशाना, तुझ पर न होगा प्रबल
    अपनी आँखों की पुतली जैसे, वो रखेगा तुझे हर पल
    गिन-गिन के ……………………
  2. आँधियाँ बनकर के आये, जिन्दगी के फिकर,
    कौन है तेरा खेवनहारा, है भरोसा तेरा किधर।
    गिन-गिन के …………………..
  3. आये तुझे जो मिटाने, वो शस्त्र होंगे बेअसर,
    तेरा रचने वाला तुझ पर, रखता है अपनी नजर।
    गिन-गिन के …………………

मेरे पांव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं। भजन संहिता 17:5

Gin Gin ke Stuti Karu lyrics – गिन गिन के स्तुति करूँ


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