तुम जगत की ज्योति हो, तुम धरा के नमक भी हो-2
तुमको पैदा इसलिए किया, तुमको जीवन इसलिए मिला-2
उसकी मर्जी कर सको सदा….तुम जगत की……………
- वह नगर जो बसे शिखर पर, छिपता ही नहीं किसी की नज़र-2
तुम्हारे भले काम चमके इस तरह……..तुम जगत की……….. - पड़ोसी से प्रेम तुमने सुना है, दुश्मनों से प्रेम मेरा कहना है-2
ऐसा जीवन ही पिता को भाता है-2, तभी तुम संतान परमेश्वर समान2 - आंख के बदले आंख बुराई का सामना है
फेरो दूसरा नाम पड़ोसी बनना, तभी तुम संतान परमेश्वर समान-2
तुम जगत की…………………..
क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है। 2 तीमुथियुस 1:7