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तुम जगत की ज्योति हो, तुम धरा के नमक भी हो-2
तुमको पैदा इसलिए किया, तुमको जीवन इसलिए मिला-2
उसकी मर्जी कर सको सदा….तुम जगत की……………

  1. वह नगर जो बसे शिखर पर, छिपता ही नहीं किसी की नज़र-2
    तुम्हारे भले काम चमके इस तरह……..तुम जगत की………..
  2. पड़ोसी से प्रेम तुमने सुना है, दुश्मनों से प्रेम मेरा कहना है-2
    ऐसा जीवन ही पिता को भाता है-2, तभी तुम संतान परमेश्वर समान2
  3. आंख के बदले आंख बुराई का सामना है
    फेरो दूसरा नाम पड़ोसी बनना, तभी तुम संतान परमेश्वर समान-2
    तुम जगत की…………………..

क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है। 2 तीमुथियुस 1:7


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