आत्मिक जीवन में उड़ान भरने के लिए परमेष्वर के वचन का एवं प्रार्थना का होना/उपवास प्रार्थना का होना अति आवष्यक है इसके बिना आत्मिक जीवन में बढ़ना मुष्किल होता है।
मसीही गीतों की सूचि के लिए पढ़े —-गीत माला – JESUS LIFE
यदि आपका दुनियाबी जीवन या दिखावे का जीवन है व्यवस्थाविवरण 28ः65-67 और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पाव को ठिकाना मिलेगा, क्योंकि वहां यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय कांपता रहेगा, और तेरी आंखे धुधली पड़ जाएगाी और तेरा मन व्याकुल रहेगा। और तुझको जीवन भर नित्य संदेह रहेगा, और तू दिन रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा नहीं रहेगा। तेरे मन में जो भय बना रहेगा और तेरी आंखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा ‘सांझ कब होगी’ और सांझ को कहेगा भोर कब होगा।
यहोषू 1ः8 व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित से कभी न उतरने पाए इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिए कि जो कुछ उसमें लिखा है उसके अनुसार करने की तू चैकसी करे, क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावषाली होगा।
नीतिवचन 28ः9 जो अपना कान व्यवस्था सुनने से फेर लेता है, उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है।
इफिसियों 5ः15-16 इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो, निबुद्धियों की नाईं नहीं, पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझों क्योंकि दिन बुरे हैं।
मरकुस 13ः33 देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा।
होषे 10ः12 अपने लिए धर्म का बीज बोओ, तब करूंणा के अनुसार खेत काटने पाओगे, अपनी पड़ती भूमि को जोतो, देखो अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है कि वह आए और तुम्हारे ऊद्धार बरसाए।
यषायाह 26ः3 जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण षांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।
भजन संहिता 63ः1 हे परमेष्वर, तू मेरा ईष्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूगा, सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा षरीर तेरा अति अभिलाशी है।
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निर्गमन 16ः35 इस्राएली जब तक बसे हुए देष में न पहुंचे तब तक अर्थात चालीस वर्श तक मन्ना खाते रहे, वे जब तक कनान देष की सीमा तक नहीं पहंुचे तब तक मन्ना खाते रहे। मन्ना का मतलब परमेष्वर के वचन से है। इसका परिणाम क्या हुआ। नहेमायाह 9ः21 चालीस वर्श तक तू जंगल में उनका ऐसा पालन पोशण करता रहा, कि उनको कुछ घटी न हुई और न उनके पांव में सूजन हुई। अर्थात चालीस वर्श तक कोई बिमार नहीं पड़ा।
उपवास में पापों से पष्चाताप जरूरी है। नीतिवचन 1ः30-31 उन्होंने मेरी सम्मति न चाही वरन मेरी सब ताड़नाओं को तुच्छ जाना। इसलिये वे अपनी करनी का फल आप भोगेंगे, और अपनी युक्तियों के फल से अघा जाएगे।
यूहन्ना 6ः32-33 यीषु ने उनसे कहा, मैं तुमसे सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। क्योंकि परमेष्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतर कर जीवन देती है। 35. यीषु ने कहा, जीवन की रोटी मैं हूं जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विष्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।
- जीवन की रोटी मैं हूं। 51. जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिए दूंगा, वह मेरा मांस हैं।
मत्ती 4ः1 तब आत्मा यीषु को जंगल में ले गया, ताकि इबलीस से उसकी परीक्षा हो, वह चालीस दिन और चालीस रात निराहार रहा…….।
लूका 4ः14 फिर यीषु आत्मा की सामर्थ से भरा हुआ गलील को लौटा, और उसकी चर्चा आस पास के सारे देष में फैल गई। यहां पर हम देखते है कि हम परमेष्वर से उपवास के द्वारा सामर्थ प्राप्त करते हैं।
1षमुएल 7ः5-6 फिर षमुएल ने कहा, ‘‘सब इस्राएलियों को मिस्पा में इक्ट्ठा करो, और मैं तुम्हारे लिए यहोवा से प्रार्थना करूंगा।’’ तब वे मिस्पा में इक्ट्ठा हुए और जल भर के यहोवा के सामने उण्डेल दिया और उस दिन उपवास किया, और वहां कहने लगे, हमने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है।’’ यहां पर हम देखते हैं कि वे अपने पापों का अंगीकार कर रहे हैं।
निर्गमन 34ः28 मूसा वहां यहोवा के संग चालीस दिन और चालीस रात रहा, और तब तक न तो उसने रोटी खाई और न पानी पिया। और उसने उन तख्तियों पर वाचा के वचन अर्थात दस आज्ञाएं लिख दी।
मरकुस 2ः18 यूहन्ना के चेले, और फरीसी उपवास करते थे, अतः उन्होंने आकर उससे यह कहा, यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं, परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते?
यूहन्ना 10ः7 ‘‘तब यीषु ने उनसे फिर कहा, मैं तुमसे सच सच कहता हूं कि भेड़ों का द्वार मैं हूं।’’
प्रेरितों के काम 3ः1 पतरस और यूहन्ना तीसरे पहर प्रार्थना के समय मंदिर में जा रहे थे।
- वह उछलकर खड़ा हो गया और चलने फिरने लगा और चलता और कूदता और परमेष्वर की स्तुति करता हुआ उनके साथ मंदिर में गया। 4ः22 यह मनुश्य जिस पर यह चंगा करने का चिन्ह दिखाया गया था, चालीस वर्श से अधिक आयु का था।
प्रेरितों के काम 16ः16-18 जब हम प्रार्थना करने की जगह जा रहे थे तो हमे एक दासी मिली जिसमें भावी कहने वाली आत्मा थी और भावी कहने से अपने स्वामियों के लिये बहुत कुछ कमा लाती थी। वह पौलुस के और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी, ये मनुश्य परमप्रधान परमेष्वर के दास है जो उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं।’’ वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रही परन्तु पौलुस दुखी हुआ और मुड़कर उस आत्मा से कहा, मैं तुझे यीषु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूं कि उसमें से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।
निर्गमन 2ः23 बहुत दिनों के बीतने पर मिस्र का राजा मर गया इस्राएली कठिन सेवा के कारण लम्बी लम्बी सांस लेकर आहे भरने लगे, और पुकार उठे और उनकी दुहाई जो कठिन सेवा के कारण हुई वह परमेष्वर तक पहुंची।
निर्गमन 17ः4-6 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और कहा, इन लोगों के साथ में मैं क्या करू? ये सब मुझ पर पथराव करने को तैयार हैं। यहोवा ने मूसा से कहा, इस्राएल के वृद्ध लोगों में से कुछ को अपने साथ ले ले और जिस लाठी से तूने नील नदी पर मारा था, उसे अपने हाथ में लेकर लोगों के आगे बढ़ चल। देख मैं तेरे आगे आगे चलकर होरेब पहाड़ की एक चट्टान पर खड़ा रहूंगा, और तू उस चट्टान पर मारना तब उसमें से पानी निकलेगा जिससे ये लोग पिए।
लूका 18ः38 तब उसने पुकार के कहा हे यीषु दाऊद की संतान मुझ पर दया कर… यीषु ने उससे पूंछा तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करू? उसने कहा, हे प्रभु यह कि मैं देखने लगूं यीषु ने कहा देखने लग तेरे विष्वास ने तुझे अच्छा कर दिया।
1 इतिहास 4ः10 याबेस ने इस्राएल के परमेष्वर को यह कह कर पुकारा,
-‘‘भला होता कि तू मुझे सचमुच आषीश देता,
-और मेरा देष बढ़ाता,
-और तेरा हाथ मेरे साथ रहता,
-और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं पीडि़त न होता।’’
और जो कुछ उसने मांगा वह परमेष्वर ने उसे दिया।
ये सब कई स्त्रियों और यीषु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित होकर प्रार्थना में लगे रहे।
मसीही गीतों की सूचि के लिए पढ़े —-गीत माला – JESUS LIFE
- प्रार्थना चंगाई प्रदान करताी है। याकूब 5ः14
- प्रार्थना बुद्धिमान बनाती है। याकूब 1ः5
- प्रार्थना जीवन में आनन्द लाती है। यूहन्ना 16ः24
- प्रार्थना से हम अपने जीवन का दिषा निर्देष प्राप्त करते हैं।
- प्रार्थना हमें परमेष्वर के प्रेम में बनाए रखती है। 1पतरस 5ः6
- प्रार्थना हमारे दुःख दूर करती है। 1षमुएल 1ः18, अय्यूब 42ः10
- प्रार्थना हमारी समस्या का समाधान प्रदान करती है। 2इतिहास 20ः10
- प्रार्थना हमारा खोया हुआ दुगना दिलाती है। अय्यूब 42ः10
- प्रार्थना हमें परमेष्वर की षांति प्रदान करती है। फिलिप्पियों 4ः6-7
- प्रार्थना दुश्टआत्मा से छुटकारा दिलाती है। मरकुस 9ः24-29
- प्रार्थना षैतान को हराती है। याकूब 4ः7
- प्रार्थना कठिन और रहस्यमय ज्ञान को समझाती है। यिर्मयाह 33ः3
- प्रार्थना हमें सामर्थ से भरती है। न्यायियों 16ः18
- प्रार्थना एक पापी को नाष होने से बचाती है। लूका 23ः39
- प्रार्थना प्रभु से दूर हुए ब्यक्ति को फेर लाती है। याकूब 5ः16-20
- प्रार्थना बारिष को रोक देती है, और रूकी हुई बारिष को खोल देती है। याकूब 5ः17-18
- प्रार्थना दर्पण के समान हमारी परिस्थिति से अवगत कराती है। यषायाह 6ः5
- प्रार्थना हमारे हृदय को षुद्ध करती है। भजन संहिता 51
- प्रार्थना हमारे देष को बचाती है। 2इतिहास 7ः14