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परमेश्वर के वचन हमारे भाग्य या परिस्थितियों को बदल सकते हैं। क्या आप उसके द्वारा आषीश और अच्छे भाग्य को पाने के लिए परमेष्वर के वचनों को जानना चाहते हैं?

मसीही गीतों की सूचि के लिए पढ़े —-गीत माला – JESUS LIFE

मरकुस 10ः27 यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, मनुश्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेष्वर से सब कुछ हो सकता है।
मत्ती 19ः26 यीषु ने उनकी ओर देखकर कहा, मनुश्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेष्वर से सब कुछ हो सकता है।
एक व्यक्ति अब्राम का जिक्र पवित्रषास्त्र में 260 से भी अधिक बार मिलता है।
उत्पत्ति 12ः1-4 यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देष और अपनी जन्म भूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देष में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा। और मैं तुझसे एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आषीश दूंगा, और तेरा नाम बडा करूंगा और तू आषीश का मूल होगा। और जो तुझे आर्षीवाद दें, उन्हें मैं आषीश दूंगा, और जो तुझे कोसे, उसे मैं षाप दूंगा, और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आषीश पाएंगे। यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राहम चला।
2 इतिहास 20ः7 हे हमारे परमेष्वर क्या तूने इस देष के निवासियों अपनी प्रजा इस्राएल के सामने से निकाल कर इन्हें अपने मित्र इब्राहीम के वंश को सदा के लिये नहीं दे दिया?

यषायाह 41ः8, हे मेरे दास इस्राएल हे मेरे चुने हुए याकूब, हे मेरे प्रेमी इब्राहीम के वंष।
याकूब 2ः23, और पवित्रषास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहिम ने परमेष्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिए धर्म गिना गया, और वह परमेष्वर का मित्र कहलाया।
वह परमेष्वर से मिलने दौड़ा उत्पत्ति 18ः2 और उसने आंख उठाकर दृश्टि की तो क्या देखा, कि तीन पुरूश उसके साम्हने खडे़ हैं, जब उसने उन्हें देखा त बवह उनसे भेंट करने के लिए तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिरकर दण्डवत की और कहने लगा। अब्राहम अब 99 वर्श का एक बुर्जुग व्यक्ति है, तौभी वह परमेष्वर से मिलने के दौड़ा, एक मित्र मिलने के लिए दूसरा मित्र फुर्ती करता है, और प्रेम से मिलता है।जैसा कि अब्राहम ने परमेष्वर के साथ किया अब्राहम ने कड़ी धूप में भी आलस्य नहीं किया।
उसने परमेष्वर के साथ समय बिताना चाहा: 18ः3 हे प्रभु, यदि मुझ पर तेरी अनुगृह की दृश्टि है तो मैं बिनती करता हूं कि अपने दास के पास से चले न जाना। एक मित्र जब अपने मित्र से मिलता है तो बार बार घड़ी नहीं देखता है बल्कि उसके साथ समय बिताना चाहता है अब्राहम जो परमेष्वर का मित्र था उसने कहा अपने दास के पास से चले न जाना।
अब्राहम ने अतिथि सत्कार किया 4 एक सच्चा मित्र अपने मित्र का अतिथि सत्कार करता है, और अब्राहम ने परमेष्वर के लिए बढि़या से बढि़या अतिथि सत्कार किया।
अब्राहम ने बिना लालच के सब कुछ किया: एक सच्चा मित्र अपने मित्र की निस्वार्थ सेवा करता है और ऐसा ही अब्राहम ने किया।
इस मित्रता और सेवा का परिणाम यह हुआ कि अब्राहम 100 वर्श में पिता बन सका।
उत्पत्ति 17ः17 तब अब्राहम मुह के बल गिर पड़ा और हंसा, और अपने मन ही मन कहने लगा, क्या सौ वर्श पुरूश के भी संतान होगा और क्या सारा जो नब्बे वर्श की है पुत्र जनेगी?
उत्पत्ति 18ः11 अब्राहम और सारा दोनों बूढे़ थे, और सारा का मासिक धर्म बन्द हो गया था। 14. क्या यहोवा के लिए कोई काम कठिन है?
उत्पत्ति 21ः1 यहोवा ने जैसा कहा था वैसा ही सारा की सुधि ले के उसके साथ अपने वचन के अनुसार किया। सारा अब्राहम से गर्भवती हुई और उसके बुढ़ापे में उसी नियुक्ति समय पर जो परमेष्वर ने उसे ठहराया था एक पुत्र उत्पन्न हुआ।

उत्पत्ति 14ः18 तब षालेम का राजा मेल्कीसेदेक, जो परमप्रधान ईष्वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया। और उसने अब्राम को यह आर्षीवाद दिया, कि परमप्रधान ईष्वर की ओर से जो आकाष और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो। और धन्य है परमप्रधान ईष्वर, जिसने तेरे द्रोहियों को तेरे वष में कर दिया है। तब अब्राहम ने उसको सबका दषमांष दिया। तब सदोम के राजा ने अब्राम से कहा, प्राणियों को तो मुझे दे और धन को अपने पास रख। अब्राम ने सदोम के राजा से कहा, परमप्रधान ईष्वर यहोवा, जो आकाष और पृथ्वी का अधिकारी है, उसकी मैं यह षपथ खाता हूं कि जो कुछ तेरा है उसमें से न तो मैं एक सूत और न जूती का बन्धन न कोई और वस्तु लूंगा कि तू ऐसा न कहने पाए कि अब्राहम मेरे ही कारण धनी हुआ।

2 इतिहास 15ः7 परन्तु तुम लोग हियाब बांधों और तुम्हारे हाथ ढीले न पडे़ क्योंकि तुम्हारे काम का बदला मिलेगा।
गलातियों 6ः9 हम भले काम करने में हियाब न छोडे़, क्योंकि यदि हम ढीले न हो, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
1कुरिन्थियों 16ः13 जागते रहो, विष्वास में स्थिर रहो, पुरूशार्थ करो, और बलवंत होओ।
फिलिप्पियों 4ः13 जो मुझे सामर्थ देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूं।

आत्मिक जीवन में उड़ान भरने के लिए परमेष्वर के वचन का होना एवं प्रार्थना का होना अति आवष्यक है इसके बिना आत्मिक जीवन में बढ़ना मुष्किल होता है।

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  • प्रार्थना चंगाई प्रदान करताी है। याकूब 5ः14
  • प्रार्थना बुद्धिमान बनाती है। याकूब 1ः5
  • प्रार्थना जीवन में आनन्द लाती है। यूहन्ना 16ः24
  • प्रार्थना से हम अपने जीवन का दिषा निर्देष प्राप्त करते हैं।
  • प्रार्थना हमें परमेष्वर के प्रेम में बनाए रखती है। 1पतरस 5ः6
  • प्रार्थना हमारे दुःख दूर करती है। 1शमुएल 1ः18, अय्यूब 42ः10
  • प्रार्थना हमारी समस्या का समाधान प्रदान करती है। 2इतिहास 20ः10
  • प्रार्थना हमारा खोया हुआ दुगना दिलाती है। अय्यूब 42ः10
  • प्रार्थना हमें परमेष्वर की शांति प्रदान करती है। फिलिप्पियों 4ः6-7
  • प्रार्थना दुश्टआत्मा से छुटकारा दिलाती है। मरकुस 9ः24-29
  • प्रार्थना शैतान को हराती है। याकूब 4ः7
  • प्रार्थना कठिन और रहस्यमय ज्ञान को समझाती है। यिर्मयाह 33ः3
  • प्रार्थना हमें सामर्थ से भरती है। न्यायियों 16ः18
  • प्रार्थना एक पापी को नाष होने से बचाती है। लूका 23ः39
  • प्रार्थना प्रभु से दूर हुए ब्यक्ति को फेर लाती है। याकूब 5ः16-20
  • प्रार्थना बारिष को रोक देती है, और रूकी हुई बारिश को खोल देती है। याकूब 5ः17-18
  • प्रार्थना दर्पण के समान हमारी परिस्थिति से अवगत कराती है। यषायाह 6ः5
  • प्रार्थना हमारे हृदय को षुद्ध करती है। भजन संहिता 51
  • प्रार्थना हमारे देष को बचाती है। 2इतिहास 7ः14

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