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शालोम सन्ति और सलाम, ये है यीषु का पैगाम
शालोम आपका कल्याण हो या परमेष्वर चाहते हैं कि आपका कल्याण हो।

लैव्यवस्था 25ः10 और उन पचासवें वर्श को पवित्र मानना और देष के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना वह वर्श तुम्हारे यहां जुबली कहलाएं उसमें तुम अपनी अपनी निज भूमि और अपने अपने घराने में लौटने पाओगे।
लैव्यवस्था 25ः39-41 ‘‘फिर यदि तेरा कोई भाई बन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आपको तेरे हाथ में बेंच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना। वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे,

मसीही गीतों की सूचि के लिए पढ़े —-गीत माला – JESUS LIFE


SALOM


एस– आपमें काफी सादगी होती है, आपकी सादगी ही आपको दूसरों से अलग करती है।
एच– आप लोगों में प्रकृति के प्रति असीम प्रेम हो सकता है, आप किसी काम को पूरा करने के लिए बेहद प्रयास करते है।
– लोग आपका अनुषरण कर सकते हैं, आपके गुणों को सीखने को सीखने का प्रयास कर सकते हैं।
एल– आप ऊर्जा से भरपूर हो सकते हैं इसके अलावा आप स्वभाव से उत्साह वर्धक हो सकते हैं।
-आप षिक्षित होने में विष्वास रख सकते हैं, जो आपने सीखा है उन मूल्यों के आधार पर जीवन जीना पसन्द करते है।
एम– आप काफी बुद्धिमान हो सकते हैं, और कड़ी मेहनत करने में विष्वास रख सकते हैं।

  1. प्रार्थना चंगाई प्रदान करताी है। याकूब 5ः14
  2. प्रार्थना बुद्धिमान बनाती है। याकूब 1ः5
  3. प्रार्थना जीवन में आनन्द लाती है। यूहन्ना 16ः24
  4. प्रार्थना से हम अपने जीवन का दिषा निर्देष प्राप्त करते हैं।
  5. प्रार्थना हमें परमेष्वर के प्रेम में बनाए रखती है। 1पतरस 5ः6
  6. प्रार्थना हमारे दुःख दूर करती है। 1षमुएल 1ः18, अय्यूब 42ः10
  7. प्रार्थना हमारी समस्या का समाधान प्रदान करती है। 2इतिहास 20ः10
  8. प्रार्थना हमारा खोया हुआ दुगना दिलाती है। अय्यूब 42ः10
  9. प्रार्थना हमें परमेष्वर की षांति प्रदान करती है। फिलिप्पियों 4ः6-7
  10. प्रार्थना दुश्टआत्मा से छुटकारा दिलाती है। मरकुस 9ः24-29
  11. प्रार्थना षैतान को हराती है। याकूब 4ः7
  12. प्रार्थना कठिन और रहस्यमय ज्ञान को समझाती है। यिर्मयाह 33ः3
  13. प्रार्थना हमें सामर्थ से भरती है। न्यायियों 16ः18
  14. प्रार्थना एक पापी को नाष होने से बचाती है। लूका 23ः39
  15. प्रार्थना प्रभु से दूर हुए ब्यक्ति को फेर लाती है। याकूब 5ः16-20
  16. प्रार्थना बारिष को रोक देती है, और रूकी हुई बारिष को खोल देती है। याकूब 5ः17-18
  17. प्रार्थना दर्पण के समान हमारी परिस्थिति से अवगत कराती है। यषायाह 6ः5
  18. प्रार्थना हमारे हृदय को षुद्ध करती है। भजन संहिता 51
  19. प्रार्थना हमारे देष को बचाती है। 2इतिहास 7ः14

मसीही गीतों की सूचि के लिए पढ़े —-गीत माला – JESUS LIFE


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