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आ रूहे आ, रूहे आ, रूहे आ-2
रूहे पाक खुदावन्द आ तू आ
जान, जिस्म और रूह में तू बस जा,
आ रूहे आ………………….

  1. रूह के शोले लपक-लपक जब आते हंै,
    टूट के सारे बन्धन गिरते जाते हैं,
    आ रूहे आ………………………
  2. बारिश होगी रूहे पाक के बादल से,
    धुल जायेगे मैले मन अन्दर से,
    आ रूहे आ………………………..
  3. रूह की सूरत में जब यीशु आयेगा,
    तहस- नहस होगा शैतान गिर जायेगा,
    आ रूहे आ…………………..

परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। भजन संहिता 46:1


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