आ रूहे आ, रूहे आ, रूहे आ-2
रूहे पाक खुदावन्द आ तू आ
जान, जिस्म और रूह में तू बस जा,
आ रूहे आ………………….
- रूह के शोले लपक-लपक जब आते हंै,
टूट के सारे बन्धन गिरते जाते हैं,
आ रूहे आ……………………… - बारिश होगी रूहे पाक के बादल से,
धुल जायेगे मैले मन अन्दर से,
आ रूहे आ……………………….. - रूह की सूरत में जब यीशु आयेगा,
तहस- नहस होगा शैतान गिर जायेगा,
आ रूहे आ…………………..
परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। भजन संहिता 46:1