आवाज देता है, प्रभु तुमको बुलाता है,
ऐ मन मेरे तू क्यों प्रभू से दूर जाता है।
- पाप मेरे बहुत देखे, स्वर्ग फिर तुझको न भाया,
बचाने को हमें उसने, उतर कर धरती पर आया,
हमको छुड़ाता है, प्रभु मुक्ति दिलाता है…..ऐ मन…… - गुनाहों की जंजीरों में, बहुत था जकड़ा मन मेरा,
न कोई उर में ज्योति थी, हर तरफ बस था अंधेरा,
दीपक जलाता है, प्रभु रास्ता दिखाता है….ऐ मन…… - मरे उद्धारकर्ता तुम, न तुमसे दूर जाना है,
सिवा तेरे मेरा जग में, नहीं मेरा ठिकाना है,
क्यों भूलकर प्रभु को, हर गम उठाता है….ऐ मन…… - दया के आप सागर हो, दया मुझ पापी पर कर दो,
मेरे इस खाली जीवन में, उजाला प्रेम का भर दो,
हम भूल जातें हैं, वो न हमें भूल पाता है…ऐ मन…..
मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है। भजन संहिता 119:50