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कोई तुम्हें बुला रहा, एक नज़र तो मोड़ लो।
क्यों ये गुनाह लिए चले, उनको यहीं पर छोड़ दो।

  1. रूक के जरा तो सोचो तुम, मरने के बाद होगा क्या?…2
    मिले तुम्हें जो जिन्दगी, प्रभु को उसे दोगे क्या?…2
    ले लो तुम जिन्दगी नई, नये कदम भी मोड़ लो।
  2. राहें हंै जिन्दगी की दो, जिस पर सभों को चलना है…2
    दुनिया की राहों में चल रहे, या राहे मसीही चलना है,
    अब तुम नये इन्सान बनों, दुनिया से रिश्ता तोड़ दो।
  3. देखो कोई सलीब से, तुमको अभी बुला रहा…2
    अपने पिता से जिन्दगी, नई तुम्हें दिला रहा,
    आ जाओ तुम सलीब से, अपना भी नाता जोड़ लो।

जो कंगाल की दोहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी। नीतिवचन 21:13


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