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यीशु जी मेरी नइया के खेवनहार, (2)
भव सागर में नाव फँसी थी, आपने कर दी पार।

  1. मन में बसी है सूरत आपकी (2)
    फिर भी दिखे न मूरत आपकी,
    दर्शन दो एक बार…..यीशु जी………….
  2. देर भले अंधेर नहीं है, (2)
    सबकी आपने टेर सुनी है,
    जग के पालनहार, यीशु जी …….
  3. एक दयालु आप है जग में, (2)
    क्या से क्या कर दो एक पल में,
    हम सब है लाचार, यीशु जी……..
  4. आप हो निर्बल निर्धन के दाता, (2)
    हम सबके प्रभु भाग्य विधाता,
    सुनलो सबकी पुकार, यीशु जी…..

वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। यशायाह 40:29


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