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मसीहा आ गये हमदम, मेरी बिगड़ी बनाने को,
मचलती है जुबां मेरी, मसीह के गीत गाने को,

  1. खुदा होकर मसीहा ने, जलाली शान को छोड़ा,
    बसाने आँसिया आये, गुनाह सबके मिटाने को….मचलती है…….
  2. मजूसी भी चले आये, सजदा करने यीशु को,
    दुआएँ दिल से लाये हैं, कुछ तो नज़रे चढ़ाने को..मचलती है…..
  3. फरिश्तो ने जमा रखी है, महफिल होशन्ना की,
    खबर देते हैं यीशु वसादत जमाने को..मचलती है…..
  4. न कतराओ मसीहा से, उसे अपना खुदा मानो
    वही है रास्ता वाहिद, मदाकत से बचाने को..मचलती है…..

और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा। मत्ती 21:22


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