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पाक रूह ने मुझको, जीना सिखा दिया-2
मुर्दा था मैं गुनाह में, मुझको जिला दिया।

  1. तौबा कबूल करके, मेरी तू साफिया,
    मुझे अब्दी जिन्दगी का, तूने सिला दिया…पाक रूह…
  2. जंगल में जब गुनाह से, राही था चूर-चूर,
    तेरी रहमतों ने मुझको, रस्ता दिखा दिया…पाक रूह…

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By admin

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