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प्रभु तेरे चरणों में, अरदास हमारी है,
क्या भेट करूँ तुमको, हर वस्तु तुम्हारी है।

  1. हम तेरे ही गंुण गायें, प्रभु तेरे ही मन भायें,
    तू याद रहे हरदम, तेरी संगति में आयें,
    हर समय करूँ सुमिरन…2, हर स्वाँस तुम्हारी है..क्या…..
  2. तन, मन, धन के दाता, तेरी विनती सदा करूँ,
    तेरे वचनों को सुनकर, तेरा ही ध्यान धरूँ,
    अभिमान न करूँ, ये अरज हमारी है…. क्या…..
  3. विश्वास तुम्हारा हो, प्रभु जी इस तन मन में,
    सबको भरपूर करो, दो खैर ये दामन में,
    प्रभु जी तेरा हर प्रेमी, चरणों का पुजारी है…क्या…..
  4. इस पापी मनवा से, प्रभु जो भी भजन करूँ,
    उद्धार प्रभू दे दो, मैं शत्-शत् नमन करूँ,
    हृदय की भेंट करूँ, फिर मरजी तुम्हारी है..क्या…..

और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा। मत्ती 21:22


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