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स्तुति करूंगा मैं प्यारे मसीहा,
हाँथ अपने उठाकर सदा (2)

  1. नगमें गाऊँगा मैं प्यारे मसीहा,
    हाँथ अपने उठाकर सदा। (2)…स्तुति करूंगा….
  2. सेवा करूंगा मैं प्यारे मसीहा,
    हाँथ अपने उठाकर सदा। (2)…स्तुति करूंगा….
  3. भजन करूंगा मैं प्यारे मसीहा,
    हाँथ अपने उठाकर सदा। (2)…स्तुति करूंगा….
  4. प्रार्थना करूंगा मैं प्यारे मसीहा,
    हाँथ अपने उठाकर सदा। (2)…स्तुति करूंगा….

इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपके मित्रों के लिये अपना प्राण दे। यूहन्ना 15:13


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