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स्तुति प्रशंसा करूं प्रभु, जय जयकार करूं
तेरी आराधना करूं सदा, इस जीवन भर में।
1 मेरे अंधेरे जीवन को, ज्योति में ला दिया
जब मैं पाप में अन्धा था, यीशु आत्मिक आंखें दी।

  1. यीशु मुझको बचा लिया, पाप की दलदल से
    खींच निकाला गन्दगी से, और लहू से साफ किया।
  2. तुझको मैं धन्यवाद बलि, दिन भर चढ़ाऊंगा
    पवित्र आत्मा से भरकर, मैं स्तुति गाऊंगा।।

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